Saturday, November 7, 2009

तुम्हारा दर्द

कितना दर्द हुआ होगा तुझे मुझको नकारने में

कितना तडपे होगे तुम और कितना रोये होगे

कितनी रातें जागते हुई बीती होंगी

और बार बार ख़ुद की बातों पर पछताए होगे

कितना कड़ा किए होगे दिल को अपने

मुझ पर बेरुखी दिखाने के पहले

और फिर फिर याद आ ही जाती होंगी

सारी बातें भूलने के पहले

कैसे अपने चेहरे को छुपा लिया होगा

लाख पूछने पर भी न बताया होगा

दिल में धधकती लपटों को

अब तक न बुझाया होगा

मेरा चेहरा आ जता होगा बार-बार

तुम्हारी नज़रों के सामने

मैं मुस्कुराता हुआ समझा रहा होऊंगा

कुछ भी ग़लत नही किया आपने

हर बात की उम्मीद रखूँ आपसे

और आप सारी उमीदों को पूरी करें

ऐसी नादानी-भरी बातों का क्या

क्यों न इन बातों से दूरी करें ?

मगर फिर जल्दी ही देखा होगा तुमने

नही यहाँ और कोई भी मेरे सिवा

और उसको ही मार डाला हमने

jiska koee nahee thaa mere सिवा

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