है जब तक कायम सांसो की डोर
और हाथों में है अपना जोर
किस बात का कैसा डर ?
सारी दुनिया अपना घर,
अपने कदमों के निशान,
बन जायें अपनी पहचान
देख कर के सोचें लोग
है कोई ऐसा इंसान
अपनी धुन में बढ़ता जाए
राहें अपनी स्वयं बनाये
उस पार आ कर देखे तो
इस पार के सच को जान जाए
है क्या रक्खा उन बातो में
जो देते पल भर की राहत
जीवन का कुछ मतलब हो
है ऐसे जीवन की चाहत
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