Tuesday, April 13, 2010

पैसा

कुछ लोग पैसे को चबा कर फेंक देते हैं

तो कुछ चबाने के लिए पैसे को देखते रहते हैं

कुछ लोग पैसे को पी जातें हैं

तो कुछ पीने के लिए पैसे को देखते रहते हैं

कुछ लोग पैसे को धुँआ में उड़ा देते हैं

तो कुछ पैसे के लिए धुँआ बन जाते हैं

कुछ लोग पैसे को लुटा देते हैं

तो कुछ पैसे के लिए लूट जाते हैं

कुछ लोग पैसे से खेलते रहते हैं

तो कुछ पैसों के लिए खेल बन जाते हैं

कुछ लोग पैसे को डकार जाते हैं

तो कुछ पैसों के लिए हाहाकार करते हैं

कुछ के लिए पैसा मस्ती का माल है

तो कुछ के लिए पैसा जीवन का सवाल है

कुछ पैसे को ही पहन लेते हैं

तो कुछ के लिए पैसा ही बे-शर्म है

कुछ लोग जीने के लिए पैसा कमाते हैं

तो कुछ पैसे के लिए जीवन तक गवांते हैं


Thursday, February 11, 2010


पिछले एक ही सदी के अंतराल में


बहुत कुच्छ विलुप्त हो गए इस धरती से


जैसे अनेकों बाघ, जातियां और बोलियाँ


जैसे ठहाके लगाती बेफिक्र बैठी टोलियाँ


सावन के झूले और प्यार के गीत


चाची और भाभी के निस्च्चल प्रीत


जैसे दूरदर्शन के रविवारीय कार्यक्रम


दिल टूटने पर पहाड़ -सा बोझिल गम


मेलों में दिखना कठपुतली के करतब


कारीगरी में दिखलाना हाथों का दहब





Tuesday, February 9, 2010

जबकि मालूम है ------

जबकि मालूम है मुझको अच्छी तरह
कि आता नहीं गुजरा वक्त दुबारा
फिर भी करते रहता इंतज़ार तुम्हारा
अकेले बैठे उसी जगह पर
जहाँ छोड़ गए थे तुम निशानी अपनी
जबकि मालूम है मुझको अच्छी तरह
कि आवाज तुम्हारी सुन न सकूंगा
फिर भी ढेरों शिकवा करता
और करता रहता हूँ वही सवाल
जिन्हें कहते थे तुम नादानी अपनी
जबकि मालूम है मुझको अच्छी तरह
कि लोग और भी हैं करोडो यहाँ
और रास्तें लाखों हैं चलने को
और हजारों बहाने हैं जीने को
फिर भी उसी झूठ पर कायम हूँ
जिसे बनाया था सच्ची कहानी अपनी.

Saturday, January 23, 2010

उनकी halat

और खाने के लिए तड़पेंगे बच्चे उनके
और खलेगी हमेशा ही कमी उनको
और तोड़ेंगे बार-बार कसमें अपनी
और गिरते रहेंगे अपनी नजरो में
और दूसरों को छलेंगे हमेशा ही
और रहेंगे सहमे से कभी ज़रूर
और दूरी बनाये रखेंगे सबसे
और चोर नज़रो से देखेंगे अपने ही घर को
और रोयेंगे भी कभी अकेले में
और न जाने क्या-क्या करते होंगे
कभी खुल कर कभी चोरी से
कभी एकांत में कभी समूह में
और न जाने गिरते -पड़ते होंगे कहाँ-कहाँ
कभी उजाले में और कभी अँधेरे में
वो, जो इन्सान नहीं रह जाते
डूब कर नशे के दलदल में