वाकई कुछ और भी पागल है मेरे सिवा इस जहाँ में
समझते है ख़ुद को जो सबसे जुदा इस जहाँ में
हद तक जज्बा है जिनमे जीने की इस जहाँ में
जो बेदाग हैं बने हुए इस दागी जहाँ में
है माद्दा जिनमे बदलने की इस जहाँ को
परवाह नही है जिनको इस जहाँ की
रहतें हैं जो इसी जहाँ में कहीं
लगते नहीं हैं पर जो इस जहाँ की